ओ आजादी के रखवालो, तुम सोते न रह जानाइसे बचाने की खातिर, तुम अपना धर्म निभाना बहुतों ने खून बहाया, बहुतों ने जान गँवाई हैबहुत महँगी कीमत देकर, ये आजादी पायी है जब मिली तो मिली खंड खंड दुष्कर आजादीख़ुशी की बेला में लिपटी हृदय विदारक बर्बादी हर ओर से घेरने को, ये दुश्मन ताक…
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मुलाकात
https://youtu.be/lL0D5jfHXQw सालों बाद एक महफ़िल में, उनसे मुलाकात हो गयीमुद्दतों से था जिसका इंतज़ार, आज वो बात हो गयी मिले गैरों की तरह – नजरें चुराते, नजरें मिलाते हुएतकल्लुफ भरी बातों में, इधर उधर ध्यान सा हटाते हुए वो कहते थे कि हम हर बार मिलते हैं, पहली मुलाकात हो जैसे यूँ वो रूह में…
छोटी सी लव स्टोरी
इजहार की हिम्मत ही नहीं, पर इश्क फरमा रहे है, दिए को पता ही नहीं, परिंदे की तरह जले जा रहे है, ना दिन में चैन है, ना नींद आती है रातों मेंअब तो सिर्फ दिल लगता है उन्ही की बातों में गली के मोड़ पे छुपकर उनकी एक झलक पाने के लिए तरसते हैऔर…
यादें
शाम थी, तन्हाई थी,यादों की लहर सी आयी थी हर लहर जुड़ी थी बीते कई लम्हों से – कुछ धुंधले, कुछ साफ़ से कुछ मुझे अच्छी तरह याद हैं, कुछ अभी भी लगते है ख्बाव सेमैं और मेरी यादें थी, ना थी और कोई आहटकभी आँखें नम हो गयी, तो कभी हलकी सी मुस्कराहट कुछ…
हिसाब
वो कहते है – यहाँ हर मुस्कराहट की कीमत है हर हंसी का हिसाब देना है ये वो बाजार है मेरे यार जहा उसे हर चीज का मोल लेना है सब यही चूका के जाना है, कोई उधार नहीं इस वही-खाते को सँभालने वाला, किसी का भी यार नहीं तो क्या हर हंसी के पहले…
रोमांस ही चला गया
https://www.youtube.com/watch?v=xAs_6NoBLJo जिंदगी से यार रोमांस ही चला गया मौज, मस्ती और डांस ही चला गया कॉलेज की कैंटीन में बैठ, पालमिस्ट्री की क्लास चलाना और आँखों की गहराई नापकर – भूत और भविष्य बताना वो कविता पाठ में उनके तरफ बार बार नजरें घुमाना और हर रोमांटिक शेर की वाह वाह पर, अपने बालो को…
दौर
एक वो भी दौर था, जब तुम ही तुम थेहम दोनों एक दूजे में गुम थेसालो दर साल, बीत गए मिनटों मेंतुम्हारे साथ जैसे एक उम्र बीत गयी हो कुछ घंटो में फिर एक वो भी दौर आया जब हर ओर तन्हाई थीहर पल, हर लम्हा, तेरी यादो कि लहार सी आयी थीयूँ तो दुनिया…
ख़ुशी
इन्तेजार
बिस्तर की सलवटे कह रही है बैचैनी की कहानी तकिये की नमी से लगता है रात भर रोती रही दीवानी तन्हा राते, तन्हा जीवन, चारो ओर तन्हाई उलझी लटें, तकती आँखे, कह रही थी व्यथा की गहराई तीन महीने पहले, शायद थोड़ी सी मुस्करायी थी जब पडोसी की चिठ्ठी, गलती से इसके घर चली आयी…
मेरे बाबा
मेरे बाबा, किस बात पर, हो मुझसे नाराजअनसुनी कर रहे हो, या आ ही नहीं रही मेरी आवाज एक वो भी दौर था – जब मेरी हर बात सुन लेते थेमैं जितना मांगता था – उससे ज्यादा ही दे देते थेवो शिरडी में, आपके दर पर होती थी, अपनी ढेर सारी बातेंआपके आशीर्वाद की छाया…