ओ आजादी के रखवालो, तुम सोते न रह जाना
इसे बचाने की खातिर, तुम अपना धर्म निभाना
बहुतों ने खून बहाया, बहुतों ने जान गँवाई है
बहुत महँगी कीमत देकर, ये आजादी पायी है
जब मिली तो मिली खंड खंड दुष्कर आजादी
ख़ुशी की बेला में लिपटी हृदय विदारक बर्बादी
हर ओर से घेरने को, ये दुश्मन ताक लगाए है
सीमा पर खड़े जवानों को, दिन रात जगाये है
हर बात पर हर चीज पर अजीब सा तनाव
जहाँ आगे बढ़ो तो मिलता यकायक ठहराव
धर्म पंथ क्षेत्र भाषा में वे बाँट कर उकसाएंगे
तुमको मुझको हम सबको आपस में लड़ाएंगे
जो भी बांटे उसे हमें अपनी हुंकार से टोकना है
और जहाँ चले नफरत की हवाएं उसे रोकना है
बढे ज्ञान, हो प्रगति, संस्कार भी, विज्ञान भी
विश्वगुरु सी विजय, बढे नारी का सम्मान भी
पोंछ पसीना माथे से सुलझा चिंता की लकीरें
चल हम आगे बढ़ बदलें अपनों की तकदीरें
साथ सब हो जाएंगे मुझे अब भी ये आस है
सपने जो देखे थे हमने पूरे होंगे ये ‘विश्वास’ है
शीश उठाकर शान से हर घर पर तिरंगा लहरा दो
आजादी के रखवालो अपना परचम तुम फ़हरा दो