शाम सुहानी हो गयी
ग़ज़ल रूहानी हो गयी
हम दोनों जब मिले तो
कुछ बात पुरानी हो गयी
सालों से अधूरा था
पर इंतेज़ार पूरा था
कुछ उसने था जोड़ा
हमने भी कुछ थोड़ा
पूरी कहानी हो गयी
शाम सुहानी हो गयी
ताल फिर बजे छमछम
झूम उठे मन के सरगम
जज्बातों का जैसे बहाव था
ख्वाहिशों का कोई राग था
संजीदा थी मस्तानी हो गयी
आज शाम सुहानी हो गयी
नजरें उठाना नजरें चुराना
कहते कहते चुप हो जाना
कहा मैंने घबराना बरकरार है
शायद बचा अब भी प्यार है
सुन शरमा कर पानी हो गयी
फिर शाम सुहानी हो गयी
रोकने का मेरा कोई इरादा न था
उन्होंने भी किया ऐसा वादा न था
इस बार के बिछड़े जाने कब मिलेंगे
आज जैसे खिले फिर कब खिलेंगे
पल भर में जवानी रवानी हो गयी
आज की हसीं शाम सुहानी हो गयी
Super romantic