प्यार की तासीर
कुछ चाय सी है
जल्दी चख लो
तो जुबां जल जाये
देर कर दो
तो ठंडी हो जाये
जो गर्माहट ठीक हो
स्वाद तभी आता है
चुस्की दर चुस्की
फिर बढ़ता ही जाता है
देर तक उबालिये
शोखियों भरी बातों से
फिर मिलाएं थोड़ा मसाला
एहसासों और जज्बातों से
धीमी आँच कर फिर छोड़िये
जैसे उड़े ख़्वाब की पतंगें
दर्द को ऐसे छानिये
सिर्फ बच जाएँ उमंगें