इश्क है, जताओ ना
झिझक छोड़ो, बताओं ना
वो रूठे हैं, मनाओ ना
फासले बढे, घटाओ ना
सहते न रहो, सत्ताओं ना
हटते न रहो, हटाओ ना
सम्भालो खुद, गिराओ ना
जलते न रहो, जलाओ ना
कली तोड़ो नहीं, लगाओ ना
दीप जलाओ, बुझाओ ना
तो कुछ इस तरह
पहले तो अपने एहसासों को जगाइए
फिर उन भावों को तुक में मिलाइये
ग़ज़ल कहें दोहा कहें कहें कोई गीत
ये न कर सकें तो बनायें मुक्तक को मीत
रस का चुनाव सबसे ज्यादा जरुरी है
कविता की प्रक्रिया इसके बिन अधूरी है
शुरुआत के लिए कहें श्रृंगार और वीर
पात्र होंगे शिवाजी, राणा, राँझा और हीर
और ध्यान से करिये सही शब्दों का चयन
जैसे सिर्फ आँखे नहीं, उन्हें कहिये नयन
बिछड़ने को जुदाई और प्यार को चाहत
हीरो को नायक कहें और चोट को आहत
अल्फाजों के छौंक जज्बातों का तड़का लगाइये
जैसे किसी साधारण सी बात पर शोर मचाइए
एक ही बात कहने के हैं तरीके हज़ार
जैसे नमस्कार में हो सकते चाल, इश्क, मान या मनुहार
कविता लिख कर फिर उसे अदाएगी से निभाना
तरन्नुम में कहें या जोश में तभी सुनेगा जमाना
बताने के बाद में मन मे सोचा
अगर रेसिपी जानने से कोई कवि बन जाता
क्यों कोई निराला, दिनकर को पूजता, नीरज के गीत गाता
Rightly said. no one becomes Chef just by reading recipe from Sanjeev Kapoor…need dedication & practice 🙂