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इतनी घृणा इतना रोष
जाने आता कैसे है
पल भर में इंसान हैवान
बन जाता कैसे है
कर पूजा सर झुकाकर
या हाथ फैला कर
उसी हाथ से काट के सर
वो सो पाता कैसे है
अपनी मां और बहन पर
निश्छल प्रेम लुटा
परायी स्त्री को कर तबाह
आँख मिलाता कैसे है
छीन कर दूसरे की जुबां
दे दर्द उम्र भर के लिए
खुद के लिए हसीं तराने
वो फिर गाता कैसे है
इतनी घृणा इतना रोष…