मन में आये भाव बोल दिएसीने में थे राज खोल दिएएहसास जगे तुक मिलायीअनेक रसों की बहार आयीकभी लिखा श्रृंगार तो कभी वीरकभी पात्र शिवाजी, कभी राँझा-हीरफलसफा कहा तो कभी इश्क, मनुहारएक ही बात कहने के हैं तरीके हज़ारकभी लोगों को हंसाया कभी आँखे भर आयीकभी रंगीन मिजाज तो कभी संजीदा सुनाईअल्फाजों के छौंक जज्बातों…
Tag: Poem
ख़त फेंक दिए
इक बार नहीं कई बार किया हैवो लम्हा हमने बार-बार जिया है प्यार में डूबे इस दिल से हारकरजज़्बातों को पन्नों पर उतारकरभावनाओं को पिरोकरएहसासों को जोड़करथोड़ा मुस्कान की महक मेंथोड़ा अश्कों की दहक मेंमोती से अक्षर सजाकरउलझन की परत हटाकरअपना पसंदीदा गीत गाते हुएथोड़ा लिख थोड़ा मिटाते हुएलिखा कई बार ख़त इज़हार काबढ़ाने अगला…
बहुत पुरानी बात है
अपना भी जमाना थाइश्क़ का फ़साना थाबहुत पुरानी बात है.. न चेहरा, न आँख, न बालउनकी हंसी का दीवाना थाबहुत पुरानी बात है.. मिलते नहीं थे छुपा चोरी सेउनका आंगन हमारा ठिकाना थाबहुत पुरानी बात है.. आज पहुंचे हम इस मुकाम परउनसे किया जो वादा निभाना थाबहुत पुरानी बात है.. पूछते हैं लोग अब क्यूँ…
बदल गयी
सूरत वही है आपकीसीरत बदल गयीमूरत बना के जिसको रखाफितरत बदल गयी बुलंदियों के दौर मेंतेरे वादे हजार थेदामन चाक -चाक अबनीयत बदल गयी शिकवे शिकायतें तेरीसुनते थे रात भरमसरूफ तुम ऐसे हुएउल्फत बदल गई दुनिया के सवालात कादेते रहे जवाबखाई है ऐसी चोट अबतबीयत बदल गयी उम्मीद ये हमें थीरहेंगे सुकून सेहमसे बिछड़कर उनकी किस्मत…
दे गया
जाते जाते वो मुझे एक किताब दे गयाताउम्र के लिए इक हसीं ख़्वाब दे गया पलटते पन्ने दर पन्ने खुल रहे कई राजजैसे आहिस्ता सरकता हिजाब दे गया समेटे साथ बीते हर लम्हे की दास्ताँ कोकहीं ‘छलिया’ कहीं ‘बुत’ का ख़िताब दे गया ढूंढ़ता हूँ हर लिखे अल्फ़ाज़ के मायनेये कैसा अजब सा मुझे हिसाब…
आजादी के रखवालो
ओ आजादी के रखवालो, तुम सोते न रह जानाइसे बचाने की खातिर, तुम अपना धर्म निभाना बहुतों ने खून बहाया, बहुतों ने जान गँवाई हैबहुत महँगी कीमत देकर, ये आजादी पायी है जब मिली तो मिली खंड खंड दुष्कर आजादीख़ुशी की बेला में लिपटी हृदय विदारक बर्बादी हर ओर से घेरने को, ये दुश्मन ताक…
माँ
मैं तब था परदेस में और जागा माँ का प्यार हमारी बातें ख़त्म होती थी रो के ही हर बारमां ने पूछा, अच्छा बेटा क्या याद मेरी आती है दर्द छिपाकर मैंने बोला, फुर्सत कहाँ मिल पाती हैबेटा तुम्हारा सुना कमरा देख मन हुआ है भारी माँ हम बहुत मस्ती में हैं, आप चिंता न…
क्या इश्क़ किया है ?
तकिये को अश्कों से रातभर भिगोये हो ?अपने दांतो से होंठो को दबाकर रोये हो ?और कई रतजगों के बाद टूट कर सोये हो ? गर हाँ तो फिर इश्क़ किया है तुमने वो उसके बिना ही उसके साथ वक्त काटा है ? खुद ही के साथ खुद ही के गम को बांटा है ?यादों…
चाय पर मिलते हैं
होती है दूरियों में गलतफहमीरिश्तों के फूल, मुलाकात में खिलते है आओ ना कभी चाय पर मिलते हैं हम दोनो को ही है शिकवे गिलेइन दरारों को एहसासों से सिलते है आओ ना कभी चाय पर मिलते हैं वफ़ा बेवफाई के इल्जाम हैं बेमानी थोड़ा तुम थामो, थोड़ा हम संभलते हैंआओ ना कभी चाय पर…
दिल का मुसाफिर
https://youtu.be/n-7ET3hFyfA कहाँ चले जा रहे है ? कही तो जा रहे है – नहीं है खबर क्या चाहते है ? पता नहीं – कुछ न कुछ तो मिलेगा मगर ऐसी ही उहा-पोह में जूझता, बढ़ा जा रहा है मंज़िल की तलाश में, ये दिल का मुसाफिर चला जा रहा है आज उम्र के इस पड़ाव…