ओ आजादी के रखवालो, तुम सोते न रह जानाइसे बचाने की खातिर, तुम अपना धर्म निभाना बहुतों ने खून बहाया, बहुतों ने जान गँवाई हैबहुत महँगी कीमत देकर, ये आजादी पायी है जब मिली तो मिली खंड खंड दुष्कर आजादीख़ुशी की बेला में लिपटी हृदय विदारक बर्बादी हर ओर से घेरने को, ये दुश्मन ताक…
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कुछ तरन्नुम में
1 – सवाल और मलाल सवालों और मलालों की कहानी है जिंदगी जो मिलेगा नहीं उसकी दीवानी है जिंदगी सवालों और मलालों …… माना तूफान तेज है, थामे रहें हाथसाथ है गर आपको तो, सुहानी है जिंदगी सवालों और मलालों …… वो आये गए कब, पता ही न चल सकापल भर में गुजर गयी वो जवानी है जिंदगी सवालों…
आखिरी बार हठ / आखिरी बाल हठ
जब साँसें उखड़ने लगीअंत की आहट जकड़ने लगीकुछ पल पल छूट रहा थाकतरा कतरा टूट रहा थाआँखों में बढ़ती नमी थीहवा में हवा की कमी थीहथेलियों की पकड़ छूट रही थीजिंदगी की डोर टूट रही थीबोझिल आँखों ने कहा अब चलते हैं इस बार बस, अगली बार मिलते हैं मैंने कहा रुकिए अभी – जाना क्या जरुरी है बस आ रहा हूँ मैं – हजारों मीलों की दूरी है बातें तो होती थी – आपके स्पर्श को तरसा हूँ गोदी में सर रख आपके – बरसो से नहीं बरसा हूँ ये क्या है जो जीवन से बड़ा हो गया आपके मेरे बीच, शैतान सा खड़ा हो गया जाने की न कहो, मुझे आपके साथ जीना है आपके चरणों में मेरे मंदिर और मदीना है मैं यहाँ से दौड़ा, वहां साँसें डगमगा रही थी किनारे पर खड़ी जिंदगी तिलमिला रही थी पता है की जिंदगी से ज्यादा मौत होती है शातिर कितना लड़ी होंगी वो मेरी आखिरी हठ की खातिर मैं पहुंचा तो मां से कुछ इस कदर बात हुई बिन बोले बिन कहे – कब सुबह से रात हुई वो जो ठहरी थी, मेरी हठ निभाने के लिए अगले दिन चली गयी, कभी न आने के लिए
एहसास
जीने के लिए, काफी यह एहसास है कि तू बस यहीं कहीं, मेरे आसपास है साँसें थम सी रहीं , वक्त ठहरा हुआजिंदगी पर ग़मों का यूँ पहरा हुआसुकून बस ये मुझे, तू मेरे साथ है ख्वाब मेरे अधूरे, कुछ तेरे भी हैं|घाव हम दोनों के, ये गहरे भी हैं बस तेरा साथ हो, मुझे…
ये क्या है
ये जो हर पल छूट रहा हैलम्हा लम्हा टूट रहा है ये जो हाथों से खिसकी है ये जिंदगी फिर किसकी है क्यों है सूनेपन की आहटऔर हर आहट पर घबराहट तिल तिल कर तिलमिलाना और गिर उठ कर डगमगाना उखड़ती हुई साँसें, आंखों में नमी कतरा कतरा हो रही, हवा की कमी फ़िज़ाओं में…
चलो अच्छा हुआ
चलो अच्छा हुआ एक ख़त्म हुआ किस्सा बना था जिंदगी का हिस्सा तोड़ कर वो सारे नाते जो लम्बे निभा नहीं पाते दिखावे के रिश्ते टूटे ढीली पकड़ के हाथ छूटे बेवजह के दिखाए सपने कभी थे नहीं जो मेरे अपने बन बैठे थे वो मेरे खुदा अच्छा हुआ, हुए जुदा चलो अच्छा हुआ दौर…
दुविधा
ये खेल है, या है कोई समर !!क्या होगा, हम जीते जो अगर ?इसमें पड़ने से, क्या फर्क पड़ेगा ?किसी अपने से ही अपना लड़ेगा !!यहां सिर्फ मोहरे भिड़ेंगे या अहम् ?कौरवों को पांडव होने का होगा वहम !!और लड़ना भी उनके लिए जो सोये हैं ?आलस्य और निज स्वार्थ में खोये हैं !!बेचारे मोहरों…
तुम साथ होतीं
जो तुम गर साथ होतींकुछ और ही बात होतीदर्द में भी मुस्काते हमभले ही घनेरी रात होतीं तूफान फिर भी आते तपिश तब भी सताती सह जाते जो तुम सहलाती काश कि तुम साथ होतीं खुद से बन गए अनजान भूले हैँ हम अपनी पहचानहम को हम ही से मिलातीजो गर तुम साथ होतीं जीवन…
नायक नकारे गए
ये कैसा है समाजजहाँ नायक नकारे जाते हैंसामने हों तो तिरस्कारबाद में पुतले सँवारे जाते हैं ज्यूँ जीते जी उन्हें पूजा जायेगातो वो महान नहीं बन जायेगाइसलिए खुद के लिए धकेलो उन्हें पीछेलूट लो वो बगीचे जो उन्होंने थे सींचेकरो नजरअंदाज या नीचा दिखाओवो तेज चल रहा तो टंगड़ी अड़ाओदामन जो साफ़ है तो कीचड़…
इश्क़ का सलीक़ा
ज्यूँ हर काम का एक तरीका होता है इश्क़ करने का भी सलीक़ा होता है थोड़ा सा पर्दा हो, थोड़ी सी पर्देदारी हो नींद में ख़्वाब उनके, जगें तो उनकी ख़ुमारी हो जब उनसे मिलो, तो मिलने की हो मर्यादाथोड़ा तकल्लुफ़ हो, नजदीकियां न हो ज्यादा वो मोहब्बत क्या, जिसमे रूठना मनाना न हो वो…