शाम थी, तन्हाई थी,यादों की लहर सी आयी थी हर लहर जुड़ी थी बीते कई लम्हों से – कुछ धुंधले, कुछ साफ़ से कुछ मुझे अच्छी तरह याद हैं, कुछ अभी भी लगते है ख्बाव सेमैं और मेरी यादें थी, ना थी और कोई आहटकभी आँखें नम हो गयी, तो कभी हलकी सी मुस्कराहट कुछ…
– एक सप्रेम भेंट