सोचो की अगर सीमा पर खड़े जवान को –सर्दी लगने लगे पहाड़ों में या कांपने लगे वो जाड़ों में मनाना गर चाहे घर जाके दिवाली या होलीबंदूक छोड़ याद आये बिंदी, कुमकुम, रोलीप्रियतमा की याद सताने लगेमां का वो आँचल बुलाने लगेवो गाँव का घर और यारों की टोलीअल्हड यादें वो सूरतें कई भोलीउसे याद…