मौन को मौन सुन सके, तब कोई बात हैबस दोनों समझते रहें, कि क्या जज़्बात है तेरी नजरें पूछती रहीं, सवाल मासूम सेमेरे हर चुप के पीछे, यादोँ की बारात है कुछ रिश्तों का तो अनाम ही रहना अच्छा फासले ही सही, फिर भी मुसलसल साथ है खामोशी मेरी तुम सुन रहे, मुझे ये लगता…