इजहार की हिम्मत ही नहीं, पर इश्क फरमा रहे है, दिए को पता ही नहीं, परिंदे की तरह जले जा रहे है, ना दिन में चैन है, ना नींद आती है रातों मेंअब तो सिर्फ दिल लगता है उन्ही की बातों में गली के मोड़ पे छुपकर उनकी एक झलक पाने के लिए तरसते हैऔर…
– एक सप्रेम भेंट
इजहार की हिम्मत ही नहीं, पर इश्क फरमा रहे है, दिए को पता ही नहीं, परिंदे की तरह जले जा रहे है, ना दिन में चैन है, ना नींद आती है रातों मेंअब तो सिर्फ दिल लगता है उन्ही की बातों में गली के मोड़ पे छुपकर उनकी एक झलक पाने के लिए तरसते हैऔर…