होती है दूरियों में गलतफहमीरिश्तों के फूल, मुलाकात में खिलते है आओ ना कभी चाय पर मिलते हैं हम दोनो को ही है शिकवे गिलेइन दरारों को एहसासों से सिलते है आओ ना कभी चाय पर मिलते हैं वफ़ा बेवफाई के इल्जाम हैं बेमानी थोड़ा तुम थामो, थोड़ा हम संभलते हैंआओ ना कभी चाय पर…