मेरे बाबा, किस बात पर, हो मुझसे नाराजअनसुनी कर रहे हो, या आ ही नहीं रही मेरी आवाज एक वो भी दौर था – जब मेरी हर बात सुन लेते थेमैं जितना मांगता था – उससे ज्यादा ही दे देते थेवो शिरडी में, आपके दर पर होती थी, अपनी ढेर सारी बातेंआपके आशीर्वाद की छाया…
– एक सप्रेम भेंट