सावन के धागे में पिरोये अलग अलग विचार….. चंद अधूरे सपने और अनकहे मलाल काश कुछ जिंदगी के पन्ने फिर लिख पाएं कभी यूँ भी हो कि कुछ ऐसी हो बरसात कुछ तो बने रहें और कुछ पन्ने धुल जाएं क़तरा क़तरा और बूँद-बूँद ही मिले हो कभी घनघोर घटा के जैसे तो आओ सूखे…
– एक सप्रेम भेंट
सावन के धागे में पिरोये अलग अलग विचार….. चंद अधूरे सपने और अनकहे मलाल काश कुछ जिंदगी के पन्ने फिर लिख पाएं कभी यूँ भी हो कि कुछ ऐसी हो बरसात कुछ तो बने रहें और कुछ पन्ने धुल जाएं क़तरा क़तरा और बूँद-बूँद ही मिले हो कभी घनघोर घटा के जैसे तो आओ सूखे…