इतनी घृणा इतना रोषजाने आता कैसे हैपल भर में इंसान हैवानबन जाता कैसे है कर पूजा सर झुकाकरया हाथ फैला करउसी हाथ से काट के सरवो सो पाता कैसे है अपनी मां और बहन परनिश्छल प्रेम लुटापरायी स्त्री को कर तबाहआँख मिलाता कैसे है छीन कर दूसरे की जुबांदे दर्द उम्र भर के लिएखुद के…
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चाँद का मिज़ाज़
मिज़ाज़ चाँद का कुछ बदला है नाबिगड़ते बिगड़ते कुछ संभला है ना मुद्दतों बाद भर निगाह देखा है उसनेवो पत्थर दिल भी आज पिघला है ना सकुचा कर उसने पूछा जो मेरा हालअनकहे एहसासों से मन मचला है ना वो आज भी मेरे वज़ूद को हिला देते हैंक्या कहें कि वो मेरा प्यार पहला है…
क्या ये प्यार है ?
हर समय तुम्हें मिलूँ, दिखूँ सजकरकोई परी या अप्सरा सा बनकरजल्दी से बिखरे बाल बनानातुमसे अपनी झुर्रियां छिपानाउम्र के साथ बढ़ते वज़न को ढांकनातुम्हें मिलने से पहले आईने ताकनामाला चूड़ी पहन इत्र लगानाफिर अपनी अदाओं से लुभाना तब तुम्हारा कहना कि प्यार हैथोड़ा सा नहीं बेशुमार हैसोचने पर करता है मजबूरकि क्या ये प्यार ही…
कुछ नहीं
जब भी पूछा ‘क्या सोच रहे हो’?तुमने ‘कुछ नहीं’ बोला हर बार उस ‘कुछ नहीं’ के पीछेमैंने हमेशा सुने –तेरे अल्फ़ाज़ अनकहेवो ताने जो तुमने मौन सहेवो तेरे अश्क जो नहीं बहेऔर जज्बात जो उलझे रहे उस ‘कुछ नहीं’ के पीछेमैंने महसूस की –छटपटाहट तेरे भीतरमुझे खो देने का डरदबी हसरतों के समंदरअनछुए ख़्वाबों के…
कविता ही तो है…
मन में आये भाव बोल दिएसीने में थे राज खोल दिएएहसास जगे तुक मिलायीअनेक रसों की बहार आयीकभी लिखा श्रृंगार तो कभी वीरकभी पात्र शिवाजी, कभी राँझा-हीरफलसफा कहा तो कभी इश्क, मनुहारएक ही बात कहने के हैं तरीके हज़ारकभी लोगों को हंसाया कभी आँखे भर आयीकभी रंगीन मिजाज तो कभी संजीदा सुनाईअल्फाजों के छौंक जज्बातों…
ख़त फेंक दिए
इक बार नहीं कई बार किया हैवो लम्हा हमने बार-बार जिया है प्यार में डूबे इस दिल से हारकरजज़्बातों को पन्नों पर उतारकरभावनाओं को पिरोकरएहसासों को जोड़करथोड़ा मुस्कान की महक मेंथोड़ा अश्कों की दहक मेंमोती से अक्षर सजाकरउलझन की परत हटाकरअपना पसंदीदा गीत गाते हुएथोड़ा लिख थोड़ा मिटाते हुएलिखा कई बार ख़त इज़हार काबढ़ाने अगला…
बहुत पुरानी बात है
अपना भी जमाना थाइश्क़ का फ़साना थाबहुत पुरानी बात है.. न चेहरा, न आँख, न बालउनकी हंसी का दीवाना थाबहुत पुरानी बात है.. मिलते नहीं थे छुपा चोरी सेउनका आंगन हमारा ठिकाना थाबहुत पुरानी बात है.. आज पहुंचे हम इस मुकाम परउनसे किया जो वादा निभाना थाबहुत पुरानी बात है.. पूछते हैं लोग अब क्यूँ…
तुम्हारे शहर से गुजरे
आज तुम्हारे शहर से गुजरना हुआयादों की नदी में जैसे उतरना हुआकई लम्हे, कई किस्से, कई बातेंआग़ोश के दिन, फ़ासले की रातेंगली की मोहब्बत, रिश्ते और चौबारेकभी महका करते थे बातों से हमारेमुलाक़ातों में थे जज़्बातों पर पहरेकुछ बोले लफ्ज कुछ लबों पर ठहरेदिखा कोई जाड़े में अलाव पर हाथ तापतेयाद आयी वो शाम तेरी…
बदल गयी
सूरत वही है आपकीसीरत बदल गयीमूरत बना के जिसको रखाफितरत बदल गयी बुलंदियों के दौर मेंतेरे वादे हजार थेदामन चाक -चाक अबनीयत बदल गयी शिकवे शिकायतें तेरीसुनते थे रात भरमसरूफ तुम ऐसे हुएउल्फत बदल गई दुनिया के सवालात कादेते रहे जवाबखाई है ऐसी चोट अबतबीयत बदल गयी उम्मीद ये हमें थीरहेंगे सुकून सेहमसे बिछड़कर उनकी किस्मत…
दे गया
जाते जाते वो मुझे एक किताब दे गयाताउम्र के लिए इक हसीं ख़्वाब दे गया पलटते पन्ने दर पन्ने खुल रहे कई राजजैसे आहिस्ता सरकता हिजाब दे गया समेटे साथ बीते हर लम्हे की दास्ताँ कोकहीं ‘छलिया’ कहीं ‘बुत’ का ख़िताब दे गया ढूंढ़ता हूँ हर लिखे अल्फ़ाज़ के मायनेये कैसा अजब सा मुझे हिसाब…