आज तुम्हारे शहर से गुजरना हुआयादों की नदी में जैसे उतरना हुआकई लम्हे, कई किस्से, कई बातेंआग़ोश के दिन, फ़ासले की रातेंगली की मोहब्बत, रिश्ते और चौबारेकभी महका करते थे बातों से हमारेमुलाक़ातों में थे जज़्बातों पर पहरेकुछ बोले लफ्ज कुछ लबों पर ठहरेदिखा कोई जाड़े में अलाव पर हाथ तापतेयाद आयी वो शाम तेरी…
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दे गया
जाते जाते वो मुझे एक किताब दे गयाताउम्र के लिए इक हसीं ख़्वाब दे गया पलटते पन्ने दर पन्ने खुल रहे कई राजजैसे आहिस्ता सरकता हिजाब दे गया समेटे साथ बीते हर लम्हे की दास्ताँ कोकहीं ‘छलिया’ कहीं ‘बुत’ का ख़िताब दे गया ढूंढ़ता हूँ हर लिखे अल्फ़ाज़ के मायनेये कैसा अजब सा मुझे हिसाब…
कुछ नहीं
जब भी पूछा ‘क्या सोच रहे हो’?तूने ‘कुछ नहीं’ बोला हर बार उस ‘कुछ नहीं’ के पीछेमैंने हमेशा सुने –तेरे अल्फ़ाज़ अनकहेवो ताने जो तुमने मौन सहेवो तेरे अश्क जो नहीं बहेऔर जज्बात जो उलझे रहे उस ‘कुछ नहीं’ के पीछेमैंने महसूस की –छटपटाहट तेरे भीतरमुझे खो देने का डरदबी हसरतों के समंदरअनछुए ख़्वाबों के…
लम्हे
मुझे छोटे-छोटे लम्हेसमेटने का जूनून हैभले न बड़ा न महंगाथोड़े में ही सुकून है बच्चे की नादानी मासूम से सवालबाग़ में खिले फूलअतरंगी सा ख्याल दोस्तों के संग मज़ाकअजनबी की मुस्कान महबूब की शिकायतकभी मौसम मेहरबान किसी ख़ास की याद माँ की प्यारी थपकीपापा की वो हिदायत संडे दोपहर की झपकी मेसेज का तुरंत जवाबकहीं…
आजादी के रखवालो
ओ आजादी के रखवालो, तुम सोते न रह जानाइसे बचाने की खातिर, तुम अपना धर्म निभाना बहुतों ने खून बहाया, बहुतों ने जान गँवाई हैबहुत महँगी कीमत देकर, ये आजादी पायी है जब मिली तो मिली खंड खंड दुष्कर आजादीख़ुशी की बेला में लिपटी हृदय विदारक बर्बादी हर ओर से घेरने को, ये दुश्मन ताक…
गुज़रा साल
जैसे तैसे गुज़रा ये साल, नया आने को है इक तूफान की तरह जो आया, अब जाने को है कुछ इस तरह काटा, कुछ इस तरह बीता है बहुत-कुछ खोया, और थोड़ा-बहुत जीता है यूँ तो किस्से-कहानी होते हर पल, हर हाल में पर बड़ी अजीबो गरीब दास्तानें है इस साल में ताकती खिड़कियां, सूनी…
सीख श्री राम की
जब श्रीराम भक्ति का, चढ़ेगा हम पर रंग ,सीखेंगे हम उनसे, बदलेंगे अपने ढंग । मोहमाया, दम्भ में उलझे, हम कैसे बाहर आएं, भव सागर से निकलने का, रास्ता राघव दिखलायें । भटकते जीवन को सिर्फ, राम-संदेशों का है सहारा, उनकी आराधना से ही, जीवन तर जायेगा हमारा । उस ईश से सीखें, कैसे देना…
रुहानी इश्क़
इश्क़ किया है मैंने तुमसे, पर तुमसे कोई दरकार नहीं ये कुछ जुदा सा, अलग सा है इसमें कोई इज़हार-इक़रार नहीं तेरी बंदिशें, तेरी मजबूरियों के बहाने इसके बीच, मेरा इश्क़ क्यों मुर्दा रहे जब रब की तरह तुझे चाहने लगे हैं तो बन्दों से फिर क्यों पर्दा रहे उस रोज मैंने, आसमां को देख…
Thanksgiving / थैंक्सगिविंग (26/11/2020)
थैंक्सगिविंग इस बार उस दिन आयी हैजब मैंने थैंक्स देने वालो की एक लम्बी फ़ेहरिस्त बनाई है – पहला थैंक्स तुकाराम के बाजूओं की उस जकड कोगोलियां खाते रहे, पर ढीले न होने दिया उस पकड़ को मरते मरते भी, अशोक काम्टे के उस निशाने कोथैंक्स के साथ सलाम है, भारत मां के उस दीवाने…
वो गीत
जब पहली बार ये गीत सुना कि “आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये तो बात बन जाये….” इसने न जाने कितने अरमान जगाये और लगा कि काश अब आ ही जाए और जब वो आये तो क्या क्या हुआ क्या बताये – रात कि नींद उडी, दिन का चैन चेहरे पर हवाइयां, अश्रुपूरित नैनहर…