ज़िन्दगी की रफ़्तार तेज़ है, और उलझनें हैं बेहिसाबजूझते रहें या थम जाएँ, कुछ बताइये तो हमें जनाब मुद्दत से हैं जिसके इंतज़ार में, उनका नहीं आता कोई जवाब तकते रहें राहें या लौट जाएँ, कुछ समझाइये दिल को साहब मसरूफियत कुछ इतनी बढ़ी, कि रिश्ते हो रहे हैं ख़राबदौड़े मंजिल को या पलट जाएँ,…