
अपनी नहीं रही ना
चाहता हूँ उनसे बात करना…
पर क्या करु…
अब वो बाते अपनी नही रही ना…!
चाहता हूँ आज भी सुबह फोन कर जगाये वो मुझे…
पर क्या करू…
उनकी राते अब अपनी नही रही ना…!
चाहता हूँ आज भी उनहे बेझझझक बता दें सब कुछ…
पर क्या करू…
वो सुनने वाली अब अपनी नही रही ना…!
चाहता हूँ पहले जैसे हो जाये ररश्ते हमारे…
पर क्या करू…
अब वो पहले जैसी नही रही ना…!
चाहता हूँ ना देखूं समय ना ख्याल करू किसी और का…
जब मन चाहे पुछ लु उनसे क्या कर रहे हो…
पर क्या करु…
वो उनका समय अब अपना नही रहा ना…!
सोचा ना था झक कुछ य ूं द ररयाूं होूंगी कभी…
झक बताना चाहेंगे हाल ए झदल उनहे…
और कुछ कह भी ना पायेंगे कभी…
वो खबर उनहे अब अपनी नही रही ना…!
अब तो कोइ फर्क़ भी ना पडे शायद उनहे…
वो अब अपनी नही रही ना…अपनी नही रही ना…!
प्यार प्यार नहीं लगता
एक वक़्त था..
जब लगा था की ऐसा प्यार मुझे मिलेगा ही नही दुबारा…!
आज वो दौर है…
जब सोचा एसा प्यार मुझे कमले ही ना दुबारा…!
वो प्यार जो मेरा हो कर भी किसी और का रहा…
वो यार जो मेरा हो कर भी वफादार किसी ओर का रहा…!
वो प्यार जो मुझे छोड किसी ओर का हो रहा था…
वो यार जो मेरा हो कर भी मेरा ना रहा…!
वो प्यार जो मेरे सबसे करीब था…
वो यार जिसके नजदीक कोई ओर था…!
वो प्यार जो अपनी दवा मुझे समझता था….
वो यार जो खेरियत किसी ओर की पुछता था…!
वो प्यार जो मुझे रात भर जगाता था…
वो यार जो मुझे जगा कर किसी ओर को सुलाता था…!
वो प्यार जिस के साथ मे अपनी जिंदगी बिता रहा था…
वो यार जो मेरे साथ अपना वक़्त गुजार रहा था…!
वो प्यार जो चाह तो मेरी रखता था…
वो यार जो प्यार किसी और को करता था…!
वो प्यार जो इबादत मेरी था…
वो यार जिसका खुदा ही कोइ ओर था…!
वो प्यार जो नींद मे मेरी सो रहा था…
वो प्यार जो नींद मे मेरी सो कर ख्वाब किसी ओर के मुकम्बल कर रहा था…!
वो प्यार जो मेरी रातो को किसी ओर कि सुबह कर रहा था…
वो यार जिसके लिए मेंने अपनी रातो को सुबह कर कर दिया था…!
वो प्यार जो मेरा हो ही नही रहा था…
वो यार जिसका मैं होता ही चले गया…!
वो प्यार अब उसका मुझे प्यार ही नही लगता…
वो यार अब मुझे मेरा यार ही नही लगता…!