सब माया और भ्रम है
इस द्वैत और अद्वैतवाद के बवंडर मैं सब गुम है।
कोई न जाने सच्चा कर्तव्य क्या और क्या धर्म है।
सबको बस धन पाने की चाह, और मोह माया का वहम है।
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है यह सब माया और भ्रम है।।
बचपन में मां बाप ने खूब पढ़ाया
बड़ा होकर कलेक्टर बनाया
सब पाकर भी भरपूर ,उसकी आंखों नम है,
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है यह सब माया और भ्रम है ।।
कड़ी मेहनत परिश्रम से सब पातें अपने सपनों को ,
उन सपनों को पाने की खातिर छोड़े होते हैं अपनों को|
फिर भी अंतरात्मा में अंततः खोखलापन है|
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है यह सब माया और भ्रम है ।।
अपनी सारी जिंदगी कमाया उसने धन विशेष गाड़ी बंगला बैंक बैलेंस है भारी ,बच्चे पढ़ने गए विदेश
इन सारी और आनंदो को लेने समय ना होता उसको शेष
अंततः थकचूर कर मर जाता है एक दिन और हाथों में बस खालीपन है
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है यह सब माया और भ्रम है ।।
कुछ लोग पैसे पे कम, प्यार पर ज्यादा विश्वास करते हैं
एक दूसरे को बस खुद की दुनिया समझते हैं।
सात जन्मों के कसमे वादे कर वो , शादी ब्याह रचते हैं ।
फिर अचानक हो जाता उनमें एक खत्म है, और अगले के पास बचता केवल अकेलापन है ।
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है या सब माया और भ्रम है ।।
क्या हम हैं कभी सोच विचारते ,
हर दिन एक नए सपने जगाते,
उन सपनों के लिए हर दिन यहां वहां दौड़ते भागते ,
फिर भी क्या हम संतुष्टि पाते ।
अपनी आकांक्षाओं को पाने की खातिर, गवाया ये अमूल्य जन्म है ।
भौतिक सुख ही सच्चा सुख है या सब माया और भ्रम है।।