बड़ा अजब प्यार था पहली पहली बार था न चाँद तका न तोड़े तारे प्यार के न थे दुश्मन हमारे न रोज का मिलना-मिलाना हुआ ही नहीं रूठना-मानना न सिनेमा गए न पार्क में मिले न कर पाए कोई शिकवे गिले कहीं अचानक ही टकरा जाना फिर हफ़्तों तक ना मिल पाना न पर्स में…
– एक सप्रेम भेंट