
अच्छा हूँ !!
तु देख दुनिया के राजमहल
मै अपने मडईयां मे अच्छा हूं।
तु देख दुनिया के रहन-सहन
मै अपने लुगरिया मे अच्छा हूं।
तु देख दुनिया के शौखे-श्रृंगार
मै इस माटी-काया मे अच्छा हूं।
तु देख जहां के चहल पहल
मै अपने सफर मे अच्छा हूं।
तु खुश रह इस माया के संसारो मे
मै अपनी नगरिया मे अच्छा हूं।
ऐ ज़िन्दगी
यूँ नीचा ना दिखा मुझे कर के तुलना गैरों से
‘ऐ ज़िन्दगी’
अभी तो अपने पैरो पर खड़ा हुआ हूँ,
अभी दौड़ लगानी बाकी है
किस्मत की घड़ी थोड़ी धीमी है मेरी
नुकीले काँटों से सजी है ये राह मेरी
यूँ बेचैनी ना दिखा मंजिल पहुंच जाने की
‘ऐ ज़िन्दगी’
अभी तो लड़खड़ा के चलना सीखा हूँ
अभी खुद को सीखाना बाकी है
मुझे नहीं जानना किसने क्या पाया, क्या बनाया है
मेरे भी ख्वाहिशे है कुछ कर दिखाने की
यूँ जल्दी ना कर मेरे ख्वाब तोड़ने की
‘ऐ ज़िन्दगी’
अभी तो दुनिये के दस्तूर देखा हूँ
अभी तो ज़माने को दिखाना बाकी है
आखिर क्या मजबूरी थी
आखिर क्या मजबूरी थी
आशियानो मे आ गये लोग परदेश से
मजदूर घर जा न सका अपने ही देश मे
क्या दुबई से बिहार की ज्यादा दुरी थी
आखिर क्या मजबूरी थी
हवाई सफऱ कर घर आए, जेबे जिनकी भारी थी
पद नग्न सफर मे चल पड़े, जेबे खाली लाचारी थी
इस औरत के सर पर बस्ता, गोद मे बिटिया थी
50 मील चल ली, बाकि पूछ रही दूरी थी
आखिर क्या मजबूरी थी
हे सत्ता के स्वामी, क्या ये कष्ट तुम्हे दिख न सका
जिन्होंने सींचा देश को, अपने खून पसीनो से
छोड़ दिया तुमने उनको डर डर ठोंकर खाने को
क्या दिल्ली से पटना की ज्यादा दुरी थी
आखिर क्या मजबूरी थी
चार लोग
कि वो चार लोग क्या कहेँगे
जो करना था वो किया नहीं
जो राह थी वो पथ लिया नहीं
सकुचित है बस इसी भ्रम मे
मंजिल क्या यु ही मिलेंगे
कि वो चार लोग क्या कहेँगे
चार दिन जीवन के खुद के
खुल के तूने जिया नहीं
गैरों के तानो के डर से
पर फैला कभी उड़ा नहीं
किस्मत के तारे क्या यु ही सजेंगे
कि वो चार लोग क्या कहेँगे
अपने अपनों कि सोच के तू
अरमानो को अपने दफ़न किया
अपने हाथो ही अपना कफन सिया
खुशियों कि नदियाँ क्या यु ही बहेंगे
कि वो चार लोग क्या कहेँगे
बैठ अंधियारे मे मन को टटोले
सोच मस्तिष्क के कपाट तू खोले
ये जीवन जो तेरा था
खुद कि सुनता खुद कि करता
चारो ओर सवेरा था,
अब तो तन्हाई ही तन्हाई है
काली घटा भी छायी है
आगे ना कोई उम्मीदें है
और पीछे भी खायी है
इस मुश्किल विपदा कि घड़ी मे
बस याद रखना साथ कौन रहेंगे
कि वो चार लोग क्या ख़ाक कहेंगे।
emotional. very well written bro
Lovely bhaia😊👌🏻
Heart touching poetry’s 😊