माधव संग सावन
माधव,
तुमने भेजे जो बादल
आयें हैं वो मेरे अंगना
गीत तुम्हारा लेकर
नाचे है ये सब बदरा
तुमने भेजी जो धूप सुनहरी
रोशन करती मेरी बिंदिया
माधव
ये सब रंग तुम्हारे है
सिंदूरी आकाश
गुलाबी धरा
मुझे रिझाने को ही तो
झरते है ये मेघ
बूँदो से भरता है मेरा आँचल
इन सब से पूर्ण
ये सृष्टि तुम्हारी है
वो जो रंग तुम्हारा है
जो मुझ को सुहाता हैं
मेरे मन में प्रीत का
एक झरना बन जाता है
मेरे नैनों से बूझ जाते है सब
मेरे पूरे सोलह श्रिंगार
माधव
तुमसे है
तुम्हीं को पूजूँ
तुम से ही रूठूँ
ये ही तो मेरे गहने है
मेरी उँगलियो के पोरों में
एक धुन बनती ठहेरती है
झाँझर बन कर पैरों की
छन छन बजती रहती हैं
माधव
इस बार जो आओ तुम
मौन बांध कर
तुम को तुमसे छुपाऊँगी
मैं जो व्याकुल
दर दर भटकूँ
जोगन हो जाऊँगी
माधव
तुम में खो जुइंगी
इस बार जो सावन आएगा
तुम संग में भी
कज़री सावन गाऊँगी
माधव
तुम भीगना प्रीत में मेरी
मैं तुमसी हो जाऊँगी