
नारी तेरे रूप अनेक
बाबुल का छोटा सा अँगना मईया के आँचल की छइयां; भैया की प्यारी सी बहना सखियों संग खेली थी गुडिया; अब ये तेरी पहचान नहीं, चल उठ अपनी पहचान बना अपने पिया की प्रेयसी तू उनके घर की तू अन्नपूर्णा; रक्त, दूध और ममता से उनके वंश को सिंचित करना; इन गौरवमय कर्मों से, अपने परिचय को महान बना.तू शकुन्तला है जिसका पुत्र शेर संग खेला करता था; तू लक्ष्मीबाई झांसी की जिससे फिरंगी डरता था;अपने अंदर की शक्ति को, मुक्ति का आह्वान बना. युग प्रवर्तक जीसस की तू ही है माता मरियम; तू ही कल्पना चावला है तू ही है सुनीता विलियम; इनमें अपना प्रतिबिम्ब देख, इनको अपना प्रतिमान बना. फ्लोरेंस और टेरेसा की तरह सेवा भी तेरा कर्म है; पर अपने अस्तित्व की रक्षा करना तेरा ही धर्म है; अपने अश्रु को पोंछ डाल, क्रंदन को आह्वान बना. अब न कोई भ्रूणहत्या हो न बेटी कही जलाई जाए; बारों में बाजारों में न बहना कोई नचाई जाये;स्त्री जाति में तेरा जन्म, स्वयं के लिए अभिमान बना.नव चेतना का संचार कर दृढ प्रतिज्ञता के ध्वजा तले; अबला नहीं तू ज्वाला बन ज्योत से ज्योत मशाल जले; नारी तेरे रूप अनेक, हर रूप को एक वरदान बना. |