जैसे तैसे गुज़रा ये साल, नया आने को है इक तूफान की तरह जो आया, अब जाने को है कुछ इस तरह काटा, कुछ इस तरह बीता है बहुत-कुछ खोया, और थोड़ा-बहुत जीता है यूँ तो किस्से-कहानी होते हर पल, हर हाल में पर बड़ी अजीबो गरीब दास्तानें है इस साल में ताकती खिड़कियां, सूनी…